अयोध्या राम मंदिर निर्माण: तुर्की की सोफिया मस्जिद से बाबरी मस्जिद की तुलना क्यों कर रहा है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड?

हागिया सोफिया पहले एक संग्रहालय था उसे दोबारा मस्जिद बना दिया गया है। - फोटो : सोशल मीडिया दयाशंकर शुक्ल सागर Updated Thu, 06 Aug 2020 01

Fundraising Campaign For Bhavya Ram Mandir To Start From 14 January As Trust Plans To Reach 55 Crore Hindus
Ayodhya pilgrims to get ropeway connecting airport, bus stand, rail station with Ram Mandir
Ayodhya represents a shared sentiment of sacredness
हागिया सोफिया पहले एक संग्रहालय था उसे दोबारा मस्जिद बना दिया गया है।
हागिया सोफिया पहले एक संग्रहालय था उसे दोबारा मस्जिद बना दिया गया है। – फोटो : सोशल मीडिया

दयाशंकर शुक्ल सागर Updated Thu, 06 Aug 2020 01:24 PM IST

चाहे शाहबानों में मामले में तीन तलाक के मुद्दे पर स्टैंड हो या फिर अयोध्या के मामले पर। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने हमेशा ही ऐसे बयान और कदम उठाएं हैं जो इस देश की गंगा जमुनी तहजीब में यकीन रखने वाले मुसलमानों के प्रति नजरिये को बदलने वाले रहे हैं।

बोर्ड की समझ और बयान ने पूरे देश के मुसलमानों को नुकसान पहुंचाया है। ताजा मामला एक ट्वीट के जरिए सामने आ रहा है जो 5 अगस्त को अयोध्या में राम जन्मभूमि पूजन के बाद किया गया। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जो ट्वीट किया है उसके मुताबिक- “बाबरी मस्जिद थी और हमेशा एक मस्जिद रहेगी। #HagiaSophia हमारे लिए एक बेहतरीन मिसाल है।
अन्यायपूर्ण, दमनकारी, शर्मनाक और बहुसंख्यक तुष्टिकरण के आधार पर जमीन का पुनर्निर्धारण का फैसला इसे बदल नहीं सकता है। अपना दिल तोड़ने की जरूरत नहीं है। हालात हमेशा एक से नहीं रहते।”

बता दूं विश्व प्रसिद्ध इमारत HagiaSophia कभी एक चर्च हुआ करता था। 1453 में जब इस शहर पर इस्लामी ऑटोमन साम्राज्य का कब्जा हुआ तो इस इमारत में तोड़फोड़ कर इसे मस्जिद में तब्दील कर दिया गया।

इसके बाद कमाल अतातुर्क उर्फ मुस्तफा कमाल पाशा ने 1934 में मस्जिद को म्यूजियम में बदल दिया क्योंकि वह धर्म की जगह पश्चिमी मूल्यों से प्रेरणा चाहते थे, लेकिन तुर्की के कट्टर छवि वाले राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हागिया सोफिया को एक बार फिर से मस्जिद में तब्दील कर दिया।

एर्दोगान ने हागिया सोफिया के अंदर बैठकर नमाज दी भी अदा की। इस दौरान उन्होंने दुनियाभर में हो रही आलोचनाओं को भी अनसुना कर दिया गया। अब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड HagiaSophia को मिसाल मान रहा है।

अयोध्या में राम मंदिर बनाने का फैसला सुप्रीम कोर्ट में चले लंबे मुकदमे के बाद आया निर्णय है।

अयोध्या में राम मंदिर बनाने का फैसला सुप्रीम कोर्ट में चले लंबे मुकदमे के बाद आया निर्णय है। – फोटो : सोशल मीडिया
बोर्ड और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के कारण ही 6 दिसम्बर को बाबरी मस्जिद ढहाई गई, तब न मस्जिद गिरती न आज मंदिर का यूं निर्माण शुरू होता। उनके ऐसे ही बयानों ने देश में बाबरी मस्जिद के खिलाफ माहौल तैयार कर दिया था।

भाजपा को हिन्दूू मुसलमान की राजनीति करने का मौका मिला गया जिसके कारण 6 दिसम्बर की घटना हुई। अस्सी के दशक में इन उग्र मुस्लिम संस्थाओं के कारण देश में जो माहौल बना उससे आने वाले खतरे को हमारे लखनऊ के मुस्लिम धर्मगुरू अली मियां ने भाप लिया था।

अली मियां अकेले ऐसे मुस्लिम धर्मगुरू थे जिनकी सभी फिरके के मुसलमान इज्जत करते थे। मुझे याद है बाबरी मस्जिद का मुद्दा जब पूरे उफान पर था और मस्जिद तब टूटी नहीं थी। तब उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘कारवां ए जिन्दगी’ में लिखा था- ‘मैंने खुली आंख से ये देख रहा हूं बाबरी मस्जिद आंदोलन जिस तरह से चलाया गया उसने बहुसंख्यकों के दिलों में हिन्दू जागृति का जोश पैदा कर दिया है।” उन्होंने आगे कहा-“जो बड़े से बड़े हिन्दू पेशवा और प्रचारक पैदा नहीं कर पाए थे।

इस्लामी लिहाज से ये नासमझी और अंधापन ही नहीं मुसलमानों के लिए ये खुदकुशी की तरह है। आपकी करतूतों से पड़ोसी समुदाय में अपने धार्मिक जागरण का खानदानी और दुश्मनी से भरा जोश पैदा हो जाए जो किसी मस्जिद या मरदसे और इस्लामी जीवन शैली के खिलाफ हो।

इनकी ना-अक्ली और ना-समझी इस समस्या का समाधान नहीं होने देगी.” सतो अली मियां की सलाह नहीं मानी और आज राम जन्म भूमि मंदिर की नींव पड़ गई। अगर मुस्लिम संगठन अभी हागिया सोफिया जैसे उदाहरण देते रहेंगे तो हालात और बिगड़ेंगे।

ये वक्त है मुस्लिम संगठन धैर्य से काम लें और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करें। और ऐसे बयान न दें जिससे दोनों समुदाय में नफरत की खाई और गहरी हो।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। अपने विचार हमें blog@auw.co.in पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।

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