सनातनी धर्माचार्यों के निर्देशन में शास्त्रोक्त विधि से बने मंदिर : स्वामी स्वरूपानंद

prayagraj news : माघ मेले में आयोजित हरिहर संत सम्मेलन’ में राम मंदिर के बारे में बोलते शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती। - फोटो : prayagraj ज्

Ramjanmabhoomi:Shri Alok Kumar, International Working President, VHP, speaks on need for Ram Temple
राम का बसेरा हो हमारा ह्रदय और सम्पूर्ण जगत को अपनाने की क्षमता में समर्थ बनें हम
प्रेस वक्तव्य: एक सशक्त व गौरव शाली भारत का आधार बनेगा श्री राम मंदिर: डॉ सुरेन्द्र जैन नई दिल्ली, अगस्त 1, 2020

prayagraj news : माघ मेले में आयोजित हरिहर संत सम्मेलन’ में राम मंदिर के बारे में बोलते शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती।

prayagraj news : माघ मेले में आयोजित हरिहर संत सम्मेलन’ में राम मंदिर के बारे में बोलते शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती। – फोटो : prayagraj

ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारकाशारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज का कहना है कि वेद शास्त्रों के अनुसार चलने वाला ही सनातनधर्मी है। जहां वेद शास्त्र के अनुसार काम न हो रहा हो, वहां देवत्व का आगमन असंभव है। धर्मशास्त्रों और वास्तु आदि की उपेक्षा कर बनाए गए ढांचे में देवत्व की आशा व्यर्थ है। हरिहर संत सम्मेलन में बतौर अध्यक्ष उन्होंने कहा कि सनातनधर्मी एक बार पुन: छद्म हिंदुओं से छले जा रहे हैं। पांच सौ वर्षों से तीन लाख बलिदान के बाद अब अयोध्या की श्रीराम जन्मभूमि में शास्त्रोक्त मंदिर बनाने के प्रयासों को चतुराई से बदला जा रहा है, जिस पर रोक जरूरी है। यदि सनातनी अभी चूके तो सदा के लिए चूक जायेंगे।

prayagraj news : हरिहर संत सम्मेलन में मौजूद साधु-संत और भक्तगण।

prayagraj news : माघ मेले में आयोजित हरिहर संत सम्मेलन’ में राम मंदिर के बारे में बोलते शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती। – फोटो : prayagraj
शंकराचार्य जी ने गुरु गोलवलकर की ओर से लिखी विचार नवनीत पुस्तक के उन अंशों को भी उद्घृत किया जिसमें श्रीराम जी को महापुरुष सिद्ध करने का प्रयास किया गया है। बोले, अपने को हिंदू, हिंदू कहकर कई ऐसी संस्थाएं जो वेद शास्त्रों को मानती ही नहीं हैं। आगे आकर और सत्ता में होने का लाभ उठाकर मंदिर और उसके प्रांगण को अपने कार्यालय की तरह विकसित करती जा रही हैं। वास्तविकता यह है कि मंदिर निर्माण में लगी संस्थाएं श्रीराम को परब्रह्म परमात्मा तो दूर भगवान भी नहीं मानतीं। इसी मान्यता को उन्होंने कई वर्ष पूर्व इसी प्रयागराज में हुए अधिवेशन में रामजी के कटआउट को डा.आंबेडकर और स्वामी विवेकानंद के समकक्ष खड़ा करके प्रदर्शित भी किया।

prayagraj news : हरिहर संत सम्मेलन में मौजूद साधु-संत और भक्तगण।

prayagraj news : हरिहर संत सम्मेलन में मौजूद साधु-संत और भक्तगण। – फोटो : prayagraj
शंकराचार्य बोले, अयोध्या की श्रीराम जन्मभूमि में मंदिर के निर्माण की मूल मांग सनातनधर्मियों की थी। तब आर्य समाज, संघ, विहिप जैसी संस्थाओं का जन्म भी नहीं हुआ था. तब कोर्ट में पक्षकार बनकर केस लडा और विजय प्राप्त की। ऐसे में उस स्थान पर सनातनधर्मियों का अधिकार बनता है सो सनातनी धर्माचार्यों के निर्देशन में शास्त्रोक्त विधि से मंदिर बनना चाहिए। अंत में उत्तराखंड हादसे में मारे गए और चोटिल लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए बदरिकाश्रम  आपदा सेवालय से किए जा रहे राहत कार्यों की सराहना की गई। त्रिवेणी मार्ग स्थित शंकराचार्य शिविर में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने विषय प्रवर्तन, ब्रह्मचारी सहजानंद ने स्वागत और वेदांताचार्य ने संचालन किया।
गंगा की दशा, गोहत्या, मठ मंदिरों के तोडे़ जाने पर जताई चिंता
संत सम्मेलन में संतों की हत्याओं, उनके गायब होने सहित गंगा की दशा, गंगा को बांधने तथा काशी में पाटे जाने, गोहत्या, मठ मंदिरों के तोडे़ जाने आदि पर संतों ने चिंता जताई। साथ ही सनातन हितैषी शासन के बारे में भी चर्चा हुई। शिविर में महामंडलेश्वर बालेश्वर दास, महंत सत्मित्रानंद, दंडी स्वामी अंबरीशानन्द सरस्वती. वेदान्त रामसुखदास, राष्ट्रीय कोतवाल भैरव दास,महन्त मोहन दास, महामंलेश्वर बालेश्वर दास, घनश्याम दासजी, सत्यमित्रानन्द, महामंडलेश्वर रामभूषण दास. महन्त मोहनदास, राघवेन्द्र दास, श्यामदास, हरिराम दास, रामसुखदास, हनुमान दास जी, लीनेश्वरानन्द रसिक, रेवानन्द, सर्वेश्वर दास, रामानन्द ब्रह्मचारी आदि उपस्थित धे।

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